What is Share Market (शेयर मार्केट क्या है) ? 15 पॉइंट्स में विस्तार से जानिए।

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शेयर मार्केट (Share Market) के बारे में अधिकांश भारतीयों को लगता है कि ये जुआ है और इसमें पैसे लगाने से पैसे डूब जाते हैं। वर्तमान में भारत में कलर ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में कई लोग कम समय में अधिक पैसे कमाने के चक्कर में अपने पैसे खो देते हैं। आज इस लेख से हम शेयर मार्केट के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे और जानेंगे कि कैसे शेयर मार्केट में पैसे लगाए जाते हैं और कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है। 

शेयर मार्केट (Share Market) या शेयर बाजार आधुनिक अर्थव्यवस्था का वह केंद्र है जहाँ पूँजी का प्रवाह, निवेशकों की महत्वाकांक्षाएँ, और कंपनियों के विकास की कहानियाँ आपस में गुथी होती हैं। यह लेख शेयर बाजार (Share Market) के हर पहलू को उसकी मूलभूत परिभाषा से लेकर जटिल ट्रेडिंग रणनीतियों तक विस्तार से समझाएगा। आइए, इसकी यात्रा शुरू करते हैं।


शेयर बाजार क्या होता हैं? / What is Share Market?

शेयर मार्केट (Share market) एक संस्थागत बाजार है जहाँ सार्वजनिक कंपनियों के शेयरों (हिस्सेदारी) की खरीद-बिक्री होती है। शेयर का अर्थ है “हिस्सा”। जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के स्वामित्व का एक छोटा भाग खरीदते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी ने 1 लाख शेयर जारी किए हैं और आप 1,000 शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के 1% मालिक बन जाते हैं।

  • महत्वपूर्ण तथ्य: शेयर बाजार (Share market) केवल शेयरों तक सीमित नहीं है। यहाँ बॉन्ड, डिबेंचर, म्यूचुअल फंड, ETFs, और डेरिवेटिव्स (जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस) का भी व्यापार होता है।
  • शेयर की कीमत का निर्धारण: यह मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) के नियम पर काम करता है। यदि किसी शेयर को खरीदने वालों की संख्या बेचने वालों से अधिक है, तो उसकी कीमत बढ़ती है। इसके विपरीत, यदि बेचने वाले अधिक हैं, तो कीमत गिरती है।
  • लिक्विडिटी (तरलता): शेयर बाजार  में निवेशक किसी भी समय शेयर खरीद या बेच सकते हैं, जो इसे “लिक्विड” (तरल) बनाता है। यह लिक्विडिटी बाजार को सक्रिय और गतिशील रखती है।


2. शेयर मार्केट का ऐतिहासिक विकास / Historical Development of Share Market 

शेयर बाजार (Share Market) की अवधारणा सदियों पुरानी है।

  • प्रारंभिक इतिहास: 17वीं सदी में डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार शेयर जारी किए, जिससे एम्सटर्डम स्टॉक एक्सचेंज का जन्म हुआ।
  • भारत में शेयर बाजार ( Share Market of India):
  • 1875: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की स्थापना हुई, जो एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।
  • 1992: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना और SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) का गठन हुआ।
  • 1995: ऑनलाइन ट्रेडिंग की शुरुआत, जिसने पारंपरिक “ओपन आउटक्राई” प्रणाली को बदल दिया।
  • महत्वपूर्ण घटनाएँ:
  • 1992 का हर्षद मेहता स्कैम: शेयर बाजार में हेराफेरी और कीमतों में हेरफेर का बड़ा मामला।
  • 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस: अमेरिकी सबप्राइम संकट का भारतीय बाजार पर प्रभाव, जहाँ सेंसेक्स 60% तक गिर गया।
  • 2020 का COVID-19 क्रैश: सेंसेक्स एक दिन में 12% गिरा, लेकिन बाद में तेजी से रिकवरी हुई।


3. शेयर बाजार के प्रमुख घटक / Important Factors of Share Market 

शेयर बाजार (Share Market) एक जटिल प्रणाली है, जिसके मुख्य घटक निम्न हैं:

  1. स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchanges):

  • BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज): सेंसेक्स (Sensex) इसका प्रमुख सूचकांक है, जो 30 प्रमुख कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाता है।
  • NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज): निफ्टी 50 (Nifty 50) इसका प्रमुख सूचकांक है, जो 50 कंपनियों को ट्रैक करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज: NYSE (न्यूयॉर्क), NASDAQ, LSE (लंदन), आदि।

  1. निवेशक (Investors):

  • रिटेल निवेशक: सामान्य व्यक्ति जो छोटी रकम निवेश करते हैं।
  • संस्थागत निवेशक: म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड, जो बड़ी पूँजी के साथ निवेश करते हैं।
  • FII (विदेशी संस्थागत निवेशक): विदेशी कंपनियाँ या फंड जो भारतीय बाजार में निवेश करते हैं।

  1. नियामक संस्थाएँ (Regulators):

  • SEBI (Securities and Exchange Board of India): यह शेयर बाजार (Share Market) में धोखाधड़ी रोकने, निवेशकों के हितों की रक्षा करने, और नियमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
  • RBI (भारतीय रिजर्व बैंक): अर्थव्यवस्था में पूँजी प्रवाह और ब्याज दरों को नियंत्रित करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से शेयर बाजार को प्रभावित करता है।

  1. इंटरमीडिएरीज (Intermediaries):

  • ब्रोकर (Brokers): Zerodha, Upstox, Angel Broking जैसी कंपनियाँ जो निवेशकों को ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करती हैं।
  • डिपॉजिटरी (Depositories): NSDL और CDSL, जो शेयरों को डिजिटल रूप में स्टोर करते हैं।
  • क्लीयरिंग हाउस (Clearing House): NSE का NSCCL और BSE का ICCL, जो लेन-देन के निपटान (Settlement) की जिम्मेदारी लेते हैं।

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4. प्राथमिक बाजार (Primary Market) और द्वितीयक बाजार (Secondary Market)

शेयर बाजार (Share Market) को दो भागों में बाँटा जा सकता है:

A. प्राथमिक बाजार:

  • परिभाषा: यह वह बाजार है जहाँ कंपनियाँ पहली बार अपने शेयर जनता को बेचती हैं। इसे “नया इश्यू मार्केट” भी कहते हैं।
  • प्रक्रिया:

  1. आईपीओ (Initial Public Offering): कंपनी SEBI के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आईपीओ लाती है।
  2. ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP): यह एक दस्तावेज है जिसमें कंपनी का वित्तीय इतिहास, व्यवसाय मॉडल, और जोखिम शामिल होते हैं।
  3. प्राइस बैंड: कंपनी शेयर की कीमत का एक रेंज (जैसे ₹500-₹550) तय करती है, और निवेशक इस रेंज में बोली लगाते हैं।
  4. अलॉटमेंट: आवेदनों के आधार पर शेयर आवंटित किए जाते हैं। यदि आईपीओ ओवरसब्सक्राइब होता है, तो प्रो-राटा आधार पर शेयर दिए जाते हैं।

B. द्वितीयक बाजार:

  • परिभाषा: यह वह बाजार है जहाँ पहले से जारी शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। यहाँ कंपनी को कोई सीधा लाभ नहीं होता।
  • कार्यप्रणाली:

  1. ऑर्डर प्लेसिंग: निवेशक ब्रोकर के माध्यम से खरीदने या बेचने का ऑर्डर देते हैं।
  2. मिलान (Matching): एक्सचेंज खरीदार और विक्रेता के ऑर्डर को मिलाता है।
  3. सैटलमेंट: T+2 दिनों में लेन-देन पूरा होता है (जैसे, आज खरीदा तो परसों शेयर डीमैट अकाउंट में आएँगे)।


5. शेयरों के प्रकार (Types of Shares)

शेयरों को उनके अधिकारों और विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:

A. इक्विटी शेयर (Equity Shares):

  • विशेषताएँ:
  • मालिकाना हक और वोटिंग अधिकार देते हैं।
  • लाभांश (Dividend) अनिश्चित होता है और कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करता है।
  • कंपनी के दिवालिया होने पर अंत में भुगतान मिलता है।
  • उदाहरण: Reliance Industries, TCS, Infosys के शेयर।

B. प्रेफरेंस शेयर (Preference Shares):

  • विशेषताएँ:
  • निश्चित लाभांश मिलता है, भले ही कंपनी को मुनाफा न हो।
  • वोटिंग अधिकार नहीं होता (कुछ अपवादों को छोड़कर)।
  • दिवालिया होने पर इक्विटी शेयरधारकों से पहले भुगतान मिलता है।
  • प्रकार:
  • क्यूमुलेटिव (Cumulative): यदि लाभांश नहीं दिया जाता, तो भविष्य में जमा होता है।
  • नॉन-क्यूमुलेटिव (Non-Cumulative): लाभांश न मिलने पर जमा नहीं होता।

C. डीवीआर शेयर (DVR Shares):

  • विशेषताएँ:
  • कम वोटिंग अधिकार (जैसे 1 शेयर = 0.5 वोट)।
  • अतिरिक्त लाभांश या अन्य लाभ मिलते हैं।
  • उदाहरण: Tata Motors ने DVR शेयर जारी किए हैं।


6. शेयर मार्केट इंडेक्स (सूचकांक) / Share Market Index Indicators

सूचकांक बाजार के समग्र प्रदर्शन को मापने का तरीका है।

  • सेंसेक्स (Sensex):
  • BSE का प्रमुख सूचकांक, जो 30 बड़ी कंपनियों को ट्रैक करता है।
  • फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर गणना की जाती है।
  • निफ्टी 50 (Nifty 50):
  • NSE का सूचकांक, जो 50 कंपनियों को शामिल करता है।
  • यह विविध क्षेत्रों (IT, बैंकिंग, ऑटो, आदि) को प्रतिनिधित्व करता है।
  • अन्य सूचकांक:
  • बैंक निफ्टी (Bank Nifty): बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन को दर्शाता है।
  • मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स: छोटी कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं।
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7. शेयर की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक / Factors Affecting Share Prices

शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की कीमतें अनेक आर्थिक और गैर-आर्थिक कारकों से प्रभावित होती हैं:

A. आंतरिक कारक (Internal Factors):

  • कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन: राजस्व, लाभ, ऋण स्तर, और नकदी प्रवाह।
  • प्रबंधन की गुणवत्ता: CEO की रणनीति, नैतिकता, और निर्णय क्षमता।
  • उत्पाद नवाचार: नए उत्पाद लॉन्च, पेटेंट, या तकनीकी ब्रेकथ्रू।

B. बाह्य कारक (External Factors):

  1. आर्थिक संकेतक: GDP विकास दर, मुद्रास्फीति, ब्याज दरें।
  2. राजनीतिक स्थिरता: चुनाव, सरकारी नीतियाँ, कर ढाँचा।
  3. वैश्विक घटनाएँ: तेल की कीमतें, युद्ध, मह
  4. (पिछले भाग का संक्षिप्त सारांश: शेयर बाजार की मूलभूत परिभाषा, इतिहास, घटक, प्राथमिक/द्वितीयक बाजार, शेयरों के प्रकार, सूचकांक, और शेयर कीमतों को प्रभावित करने वाले कारकों पर चर्चा की गई थी।

8. शेयर मार्केट में निवेश के प्रमुख तरीके / Main ways of investing in stock market

शेयर बाजार (Share Market) में निवेश के लिए कई रणनीतियाँ उपलब्ध हैं, जिन्हें निवेशक अपने लक्ष्य और जोखिम सहनशीलता के आधार पर चुन सकते हैं: 

A. लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट (दीर्घकालिक निवेश):

परिभाषा: 5 साल से अधिक समय के लिए मजबूत मौलिक सुदृढ़ता वाली कंपनियों में निवेश करना। 

फायदे:

  – कंपाउंडिंग का लाभ: छोटे रिटर्न भी लंबी अवधि में बड़े मुनाफे में बदल सकते हैं। उदाहरण: ₹10,000 का 15% सालाना रिटर्न 20 साल में ₹1,63,665 हो जाता है। 

  – बाजार के उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम होता है। 

उपयुक्त कंपनियाँ: स्थिर राजस्व, कम ऋण, और मजबूत प्रबंधन वाली कंपनियाँ (जैसे HDFC Bank, Asian Paints)। 

B. शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग (अल्पकालिक व्यापार):

प्रकार:

  1. इंट्राडे ट्रेडिंग: एक ही दिन में शेयर खरीदना और बेचना। 

  2. स्विंग ट्रेडिंग: कुछ दिनों से हफ्तों तक शेयर रखना। 

  3. स्कैल्पिंग: मिनटों या सेकंडों में छोटे मुनाफे कमाना। 

जोखिम: उच्च जोखिम, क्योंकि बाजार की अस्थिरता से नुकसान हो सकता है। 

टूल्स: टेक्निकल एनालिसिस (कैंडलस्टिक चार्ट, RSI, MACD) और समाचार-आधारित ट्रेडिंग। 

C. वैल्यू इन्वेस्टिंग:

– सिद्धांत: बेंजामिन ग्राहम और वॉरेन बफेट द्वारा प्रचलित, जहाँ कंपनी के आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) से कम कीमत पर शेयर खरीदे जाते हैं। 

– गणना: P/E Ratio, P/B Ratio, और डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) का उपयोग। 

D. ग्रोथ इन्वेस्टिंग:

– फोकस: ऐसी कंपनियाँ जिनका राजस्व और मुनाफा तेजी से बढ़ रहा है (जैसे नई टेक स्टार्टअप्स)। 

– जोखिम: अधिक वैल्यूएशन पर खरीदने से नुकसान का खतरा। 

9. जोखिम प्रबंधन: निवेशकों के लिए गोल्डन रूल्स

शेयर बाजार (Share Market) में सफलता का 80% जोखिम प्रबंधन पर निर्भर है। कुछ महत्वपूर्ण नियम: 

1. डायवर्सिफिकेशन (विविधीकरण):

   – सभी फंड्स एक ही शेयर या सेक्टर में न लगाएँ। उदाहरण: IT, FMCG, हेल्थकेयर, और बैंकिंग में निवेश बाँटें। 

   – एसेट एलोकेशन: शेयरों के साथ सोना, बॉन्ड, और रियल एस्टेट में भी निवेश करें। 

2. स्टॉप-लॉस ऑर्डर:

   – शेयर की कीमत के एक निश्चित स्तर (जैसे खरीद मूल्य से 10% नीचे) पर स्वचालित बिक्री का ऑर्डर दें। यह शेयर मार्केट (Share Market) में बहुत प्रचलित प्रणाली है। 

   – उदाहरण: यदि आपने ₹500 में शेयर खरीदा है, तो ₹450 पर स्टॉप-लॉस लगाएँ। इससे अगर शेयर मार्केट (share market) में अचानक गिरावट आती है और शेयर का भाव 400 चला जाता है तो ऐसे में आप अधिक नुकसान होने से बच जाएंगे क्योंकि आपने स्टॉप लॉस 450 रुपए पर लगा रखा था यानि आपकी ट्रेड 450 रुपए के भाव पर ही अपने आप बंद हो जाएगी। 

इसके अलावा यदि अपने किसी कम में व्यस्त है और आप बाजार की चाल को नहीमदेख रहे है तो ऐसे में आप स्टॉप लॉस की मदद से शेयर को बेच सकते है। 

3. पोजीशन साइजिंग:

   – किसी एक ट्रेड में कुल पूँजी का 2-5% से अधिक जोखिम न उठाएँ। 

   – फॉर्मूला: (कैपिटल × रिस्क %) / (एंट्री प्राइस – स्टॉप-लॉस प्राइस) = शेयरों की संख्या। 

4. इमोशनल कंट्रोल:

   – लालच (ग्रीड) और डर (फियर) से बचें। पूर्वनिर्धारित रणनीति पर टिके रहें। 

10. शेयर मार्केट के लिए आवश्यक टूल्स और रिसोर्सेज / Essential tools and resources for the stock market

1. फाइनेंशियल न्यूज प्लेटफॉर्म:

   – Moneycontrol, Economic Times, BloombergQuint। इन प्लेटफॉर्म्स की मदद से आप शेयर मार्केट (Share Market) के शेयरों की चाल का अंदाजा उस कंपनी से जुड़ी न्यूज समाचारों से लगा सकते है। 

   – ग्लोबल न्यूज: Reuters, CNBC। 

2. स्टॉक स्क्रीनर्स:

   – TradingView, Screener.in (कंपनी के फाइनेंशियल रेश्यो का विश्लेषण)। यह उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो ट्रेड करते है या जिन्हें चार्ट एनालिसिस या कैंडल्स लैंपटर्नस समझ आते हैं। ये लोग इन प्लेटफॉर्म्स पर सभी देशों और सभी तरह के शेयर बाजार (Share Market) पर एक साथ नजर रख सकते है। 

3. टेक्निकल एनालिसिस सॉफ्टवेयर:

   – MetaTrader, Zerodha Kite (कैंडलस्टिक पैटर्न, ट्रेंडलाइन्स)। ये ऐप आपको अपने आप शेयरों से जुड़े टेक्निकल एनालिसिस और टेक्निकल इंडिकेटर्स दिखाती है जिससे आप पूरे शेयर बाजार (Share Market) ke शेयरों की चाल पर एक साथ नजर रख सकते हैं। 

4. फंडामेंटल एनालिसिस:

   – बैलेंस शीट, P&L स्टेटमेंट, कैश फ्लो स्टेटमेंट। 

   – महत्वपूर्ण रेश्यो: P/E Ratio, Debt-to-Equity, ROE (Return on Equity)। यह कंपनी की वित्तीय स्थिति को समझने में काफी मदद करते हैं। 

5. डीमैट/ट्रेडिंग अकाउंट:

   – Zerodha, Upstox, Angel Broking जैसे प्लेटफॉर्म पर खाता खोलें। 

6. वर्चुअल ट्रेडिंग ऐप्स:

   – “पेपर ट्रेडिंग” के जरिए बिना पैसे लगाए अभ्यास करें (जैसे Stock Trainer)। इसमें आप बिना पैसे लगाए शेयर मार्केट (Share Market) के लिए अपनी नॉलेज को परख सकते है कि आपको ट्रेडिंग का कितना ज्ञान हो चुका है। यह ट्रेडिंग सीखने और अपने ज्ञान को परखने का सबसे अच्छा तरीका है। 

11. शेयर मार्केट और टैक्सेशन / Share market and taxation

भारत में शेयर मार्केट (Share Market) में निवेश से होने वाली आय पर कर लगता है: 

1. शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG):

   – 1 साल से कम समय तक शेयर रखने पर मुनाफे पर 15% कर (Equity में)। 

2. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG):

   – 1 साल से अधिक समय तक शेयर रखने पर ₹1 लाख से अधिक मुनाफे पर 10% कर। 

3. डिविडेंड इनकम:

   – कंपनी द्वारा दिए गए डिविडेंड पर 10% TDS (बजट 2020 के अनुसार)। 

4. सेक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT): 

   – हर ट्रेड पर 0.025% से 0.1% तक STT लगता है। 

टैक्स बचाने के टिप्स:

– लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट को प्राथमिकता दें। 

– Tax Harvesting: नुकसान वाले शेयर बेचकर मुनाफे की कटौती करें। 

12. निवेशकों द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियाँ / Common mistakes made by investors

1. भीड़ का अनुसरण (Herd Mentality):

   – बिना रिसर्च के टिप्स पर शेयर खरीदना (जैसे Penny Stocks में नुकसान)। 

2. ओवरट्रेडिंग:

   – बार-बार शेयर बदलने से ब्रोकरेज और टैक्स का बोझ बढ़ता है। 

3. लेवरेज का गलत उपयोग:

   – मार्जिन ट्रेडिंग में अत्यधिक उधार लेने से बड़े नुकसान की संभावना। 

4. लॉस को होल्ड करना:

   – नुकसान में फंसे शेयरों को भावनात्मक रूप से पकड़े रहना। 

13. भारत में रिटेल निवेशकों का बढ़ता प्रभाव / The Growing influence of retail investors in India

SEBI के अनुसार, 2023 तक भारत में 10 करोड़ से अधिक डीमैट अकाउंट हैं। इसके पीछे कारण: 

– डिस्काउंट ब्रोकरेज: Zerodha जैसे प्लेटफॉर्म ने कमीशन घटाया। 

– फिनटेक क्रांति: Groww, Paytm Money जैसे ऐप्स ने निवेश को सरल बनाया। 

– सोशल मीडिया का प्रभाव: YouTube और Telegram पर फाइनेंसियल इन्फ्लुएंसर्स का बढ़ता रुझान। 

14. ग्लोबल मार्केट का भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव / Impact of global market on Indian stock market

– US फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें: ब्याज दरें बढ़ने पर FII भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं। 

– कच्चे तेल की कीमतें: भारत तेल आयातक देश है, इसलिए तेल महँगा होने से महँगाई और कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होता है। 

– चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने से IT और फार्मा सेक्टर की कंपनियाँ प्रभावित हुईं। 

15. शेयर बाजार और नैतिक निवेश (ESG) / Stock Market and Ethical Investing (ESG)

– ESG (Environmental, Social, Governance): पर्यावरण, सामाजिक दायित्व, और शासन प्रबंधन पर आधारित निवेश। 

– भारत में प्रगति: TATA, Infosys जैसी कंपनियाँ ESG रिपोर्ट जारी करती हैं। 

– एसजीएक्स निफ्टी 100 ESG इंडेक्स: ESG मानकों पर खरी उतरने वाली कंपनियों को ट्रैक करता है। 

16. भविष्य की संभावनाएँ: AI, ब्लॉकचेन, और शेयर बाजार / Future Prospects: AI, Blockchain, and the Stock Market

1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस:

   – अल्गोरिदम ट्रेडिंग: AI द्वारा पैटर्न पहचान और हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग। 

   – रोबो-एडवाइजर्स: निवेश सलाह के लिए ऐप्स (जैसे INDmoney)। 

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2. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी:

   – स्टॉक एक्सचेंजों में लेन-देन की पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाना। 

3. डिजिटल करेंसी का प्रभाव:

   – क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाजार के बीच सहसंबंध का अध्ययन। 

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निष्कर्ष / Conclusion 

शेयर बाजार (Share Market) में ज्ञान ही शक्ति है

शेयर बाजार (Share Market) एक जटिल यंत्र है, लेकिन सही ज्ञान और अनुशासन से इसे समझा और नियंत्रित किया जा सकता है। सफल निवेश के लिए: 

1. शिक्षा: निरंतर सीखते रहें। 

2. धैर्य: ऐसे निवेश चुनें जो समय के साथ बढ़ें। 

3. विवेक: जोखिम और रिटर्न का संतुलन बनाएँ। 

याद रखें, शेयर बाजार (Share Market) एक “गेट-रिच-क्विक” योजना नहीं, बल्कि धीरे-धीरे सम्पत्ति निर्माण का माध्यम है। छोटे कदमों से शुरुआत करें, गलतियों से सीखें, और दीर्घकालिक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें। 

शेयर बाजार (Share Market) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

1. शेयर बाजार क्या है?

शेयर बाजार वह स्थान है जहां कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री होती है। यह निवेशकों को कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता है।

शेयर क्या होते हैं?

शेयर किसी कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। शेयरधारक कंपनी के लाभ और हानि में हिस्सेदार होते हैं।

भारत में प्रमुख शेयर बाजार कौन से हैं?

भारत में दो प्रमुख शेयर बाजार हैं:
1. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE): यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।
2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE): यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।

NIFTY 50 क्या है?

NIFTY 50, NSE का प्रमुख सूचकांक है, जिसमें 50 प्रमुख कंपनियों के शेयर शामिल हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है।

शेयर बाजार में निवेश कैसे करें?

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए आपको एक ब्रोकर के माध्यम से एक ट्रेडिंग और डीमैट खाता खोलना होगा। इसके बाद, आप ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से शेयर खरीद और बेच सकते हैं।

क्या एनआरआई भारत में शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं?

हाँ, एनआरआई पोर्टफोलियो निवेश योजना (PIS) के तहत भारत में शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक नामित बैंक शाखा के माध्यम से एक NRE या NRO खाता खोलना होगा।

शेयर बाजार में निवेश के क्या लाभ हैं?

शेयर बाजार में निवेश से पूंजी वृद्धि, लाभांश आय, और मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा जैसे लाभ मिल सकते हैं। हालांकि, इसमें जोखिम भी शामिल हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक निवेश करना चाहिए।

शेयर बाजार में निवेश के लिए आवश्यक दस्तावेज़ क्या हैं?

निवेश के लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, और पासपोर्ट आकार की फोटो जैसे दस्तावेज़ आवश्यक होते हैं। इसके अलावा, केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होती है।

क्या शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा है?

हाँ, शेयर बाजार में निवेश में बाजार की अस्थिरता के कारण जोखिम होता है। निवेश से पहले उचित शोध और जोखिम प्रबंधन रणनीतियाँ अपनानी चाहिए।

शेयर बाजार के बारे में सीखने के लिए कौन से संसाधन उपलब्ध हैं?

शेयर बाजार के बारे में सीखने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम, पुस्तकें, और वित्तीय समाचार वेबसाइटें उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, Cashkhabar.com पर स्टॉक मार्केट से संबंधित कई कोर्स उपलब्ध हैं।

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