म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) निवेश के लिए एक लोकप्रिय विकल्प हैं, और जब हम निवेश के रिटर्न की बात करते हैं, तो कई अलग-अलग मापदंडों का उपयोग किया जा सकता है। इन मापदंडों में से एक है “एब्सोल्यूट रिटर्न” (Absolute Return)।
इस लेख में, हम समझेंगे कि एब्सोल्यूट रिटर्न क्या होता है, इसे कैसे मापा जाता है, और निवेशकों के लिए इसका क्या महत्व है।
म्यूचुअल फंड में एब्सोल्यूट रिटर्न क्या है? (What is Absolute Return in Mutual Funds?)
एब्सोल्यूट रिटर्न (Absolute Return) वह रिटर्न है जो किसी निवेश से एक निश्चित समयावधि में प्राप्त होता है, बिना किसी तुलना या बेंचमार्क के। इसे सरल भाषा में समझा जाए तो यह वह प्रतिशत है जिससे आपके निवेश की राशि बढ़ी है या घटी है।
एब्सोल्यूट रिटर्न की गणना | Calculation of Absolute Return
एब्सोल्यूट रिटर्न की गणना करना बहुत आसान है। इसके लिए आपको केवल अपने निवेश की प्रारंभिक राशि और वर्तमान मूल्य को जानना होता है। इसे इस प्रकार मापा जाता है:
Absolute Return = {[(Present Value) – (Initial Value)] × 100} / Initial value
उदाहरण के लिए, यदि आपने ₹10,000 का निवेश किया था और अब उसका मूल्य ₹12,000 है, तो आपका एब्सोल्यूट रिटर्न होगा:
Absolute Return= {₹12,000 – ₹10,000} × 100 / 10,000 = 20%
एब्सोल्यूट रिटर्न और अन्य रिटर्न्स में अंतर | Difference between Absolute Return and Other Returns
1. एब्सोल्यूट रिटर्न बनाम कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR)
– एब्सोल्यूट रिटर्न कुल रिटर्न को मापता है, जबकि CAGR समय के साथ निवेश के औसत वार्षिक वृद्धि दर को मापता है।
– उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹10,000 का निवेश किया और पांच साल बाद ₹20,000 मिला, तो एब्सोल्यूट रिटर्न 100% होगा, लेकिन CAGR 14.87% होगा।
2. एब्सोल्यूट रिटर्न बनाम रिलेवेटिव रिटर्न (Relative Return)
– रिलेवेटिव रिटर्न किसी बेंचमार्क या इंडेक्स के साथ तुलना करता है, जबकि एब्सोल्यूट रिटर्न केवल आपके निवेश के प्रदर्शन को मापता है।
एब्सोल्यूट रिटर्न का महत्व | Importance of Absolute Return
एब्सोल्यूट रिटर्न निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड है, खासकर जब वे अपने निवेश के परफॉर्मेंस को मापना चाहते हैं। यह उन्हें स्पष्ट करता है कि उनके निवेश ने कितनी वृद्धि की है। यह उन निवेशकों के लिए अधिक उपयोगी है जो किसी विशिष्ट समयावधि में अपने निवेश का मूल्यांकन करना चाहते हैं, बजाय इसके कि वे अन्य बेंचमार्क्स के साथ तुलना करें।
कब उपयोगी होता है एब्सोल्यूट रिटर्न? | When is Absolute Return Useful?
1. शॉर्ट-टर्म निवेशों के लिए: यदि आप अल्पकालिक निवेश कर रहे हैं, तो एब्सोल्यूट रिटर्न आपको यह समझने में मदद करेगा कि आपके निवेश ने कम समय में कैसा प्रदर्शन किया है।
2. स्ट्रेटेजिक निवेश निर्णयों के लिए: जब आप अलग-अलग निवेश विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे हों, तो एब्सोल्यूट रिटर्न आपको विभिन्न विकल्पों के बीच निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
3. बेंचमार्क-मुक्त निवेश के लिए: यदि आप किसी विशेष बेंचमार्क से जुड़ना नहीं चाहते, तो एब्सोल्यूट रिटर्न आपको स्पष्ट संकेत देता है कि आपके निवेश ने कैसा प्रदर्शन किया है।
एब्सोल्यूट रिटर्न की सीमाएँ | Limitations of Absolute Return
हालांकि एब्सोल्यूट रिटर्न निवेश के प्रदर्शन को मापने के लिए एक सरल और सीधा तरीका है, लेकिन इसके कुछ सीमाएँ भी हैं:
1. समय कारक: एब्सोल्यूट रिटर्न समय अवधि को ध्यान में नहीं रखता। यह केवल कुल रिटर्न दिखाता है, चाहे वह 1 साल में हो या 5 साल में।
2. बेंचमार्क की अनुपस्थिति: एब्सोल्यूट रिटर्न किसी बेंचमार्क से तुलना नहीं करता, जिससे आपको यह समझने में कठिनाई हो सकती है कि आपके निवेश ने मार्केट के मुकाबले कैसा प्रदर्शन किया।
निष्कर्ष | Conclusion
एब्सोल्यूट रिटर्न (Absolute Return) एक सरल और प्रभावी तरीका है निवेश के प्रदर्शन को मापने का, खासकर तब जब आप केवल यह देखना चाहते हैं कि आपका निवेश कितना बढ़ा है। हालांकि, इसे अन्य मापदंडों जैसे CAGR और रिलेवेटिव रिटर्न के साथ मिलाकर देखना आवश्यक है ताकि आप अपने निवेश का सही-सही मूल्यांकन कर सकें।
सुझाव: जब भी आप अपने निवेश का मूल्यांकन करें, तो केवल एब्सोल्यूट रिटर्न पर निर्भर न रहें। अन्य वित्तीय मापदंडों का भी उपयोग करें ताकि आप एक सम्पूर्ण और सटीक विश्लेषण कर सकें।