आरबीआई की मौद्रिक नीति 2025 (RBI Monetary policy 2025) समीक्षा बैठक (5-7 फरवरी 2025) के दौरान रेपो रेट में कटौती की संभावनाओं पर बाजार और अर्थशास्त्रियों की नजरें टिकी हैं। बढ़ती महंगाई और आर्थिक विकास दर में गिरावट के बीच, आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा का यह पहला बड़ा फैसला होगा।
आइए, समझते हैं कि RBI Monetary policy 2025 में ब्याज दरों में संभावित बदलाव आपके निवेश, लोन और अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा।
RBI Monetary Policy 2025
1. महंगाई पर नियंत्रण: दिसंबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.22% पर आ गई है, जो अक्टूबर (6.21%) और नवंबर (5.48%) की तुलना में कम है। सब्जियों के दामों में गिरावट से जनवरी 2025 में यह और घटकर 4.5% तक पहुंच सकती है।
2. आर्थिक विकास दर में मंदी: वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी विकास दर 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष (8.2%) से काफी कम है। विनिर्माण और निवेश क्षेत्र में गिरावट इसकी प्रमुख वजह है।
3. बजट 2025 का प्रभाव: केंद्र सरकार ने 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्स-फ्री करके उपभोग बढ़ाने पर फोकस किया है। आरबीआई की दर कटौती इस पहल को और मजबूती दे सकती है।
RBI Monetary policy 2025 में ब्याज दर कटौती के प्रमुख प्रभाव
1. शेयर बाजार को मिलेगा बढ़ावा
– उपभोग आधारित कंपनियां: FMCG, ऑटोमोबाइल (विशेषकर दोपहिया वाहन), और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर को लाभ मिलने की उम्मीद।
– रियल एस्टेट और बैंकिंग: होम लोन की सस्ती दरों से रियल एस्टेट में मांग बढ़ सकती है, जबकि बैंकों के लिए कर्ज की लागत घटेगी।
2. होम लोन और EMIs पर राहत
– रेपो रेट में 0.25% की कटौती से बैंकों की लेंडिंग दरें (MCLR) घट सकती हैं।
– उदाहरण: 50 लाख रुपए के होम लोन पर EMI में करीब 1,000-1,500 रुपए मासिक की कमी आ सकती है।
3. डेट फंड्स और फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर असर
– डेट फंड्स: ब्याज दरों में गिरावट से बॉन्ड की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे मौजूदा डेट फंड्स के NAV में सुधार होगा। शॉर्ट-टर्म और कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
– FD रेट्स: कॉर्पोरेट FD (जैसे बजाज फाइनेंस, महिंद्रा फाइनेंस) में अभी 8-8.8% तक रिटर्न मिल रहा है। दर कटौती के बाद यह घट सकता है, इसलिए निवेशकों को लॉक-इन करने की सलाह दी जा रही है।
4. रुपये पर दबाव
– अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त नीतियों और व्यापार घाटे के कारण रुपया 85.5-87.5 प्रति डॉलर के बीच रह सकता है। आरबीआई की दर कटौती से रुपये में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है।
निष्कर्ष
RBI Monetary policy 2025 के तहत आरबीआई की दर कटौती का फैसला आर्थिक विकास और महंगाई के बीच संतुलन बनाने की कोशिश होगी। उपभोक्ताओं को EMI में राहत मिलने और बाजार में तरलता बढ़ने से अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।
हालांकि, वैश्विक मंदी और रुपये की कमजोरी जोखिम बने हुए हैं। निवेशकों को सेक्टर-विशेष जोखिमों को ध्यान में रखते हुए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने की सलाह दी जाती है।
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