पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान वर्ना सुनार की होगी बल्ले बल्ले, इन 5 बातों का ध्यान रखेंगे तो कभी कोई ठग पाएगा

अगर आप भी अपना पुराना सोना बदलवा रहे है तो पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान वर्ना सुनार आपको ठग सकते हैं | अक्सर भारत में लोग पुराना सोना बदलवाते समय बहुत लापरवाही बरतते है जिससे उन्हें काफी बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है|

शादियों का सीजन चल रहा है। बाजार में इन दिनों सोने का भाव सातवें आसमान पर है। फिर भी सोने की डिमांड में कोई कमी नहीं आई है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बीते 5 वर्षों में सोने की डिमांड 700 से 800 टन रही है। माना जा रहा है कि 2024 के आखिर तक यह डिमांड बढ़कर 900 टन तक पहुंच जाएगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सोने की बादशाहत सदियों से बनी हुई है।

पुरानी पीढ़ी की महिलाएं पीढ़ियों से चले आ रहे अपने सोने के गहने को सहेजकर रखती हैं और मुश्किल वक्त में ही इन गहनों को बेचती हैं। वहीं नई उम्र की बहू-बेटियों को सोने की पुरानी ज्वैलरी नहीं भाती। वे आधुनिक ट्रेंड के हिसाब से ज्वैलरी पहन रही हैं।

शादियों के सीजन में सोने की खरीदारी सबसे अहम मानी जाती है। ऐसे में यदि पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान आप नही रखेंगे तो आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है|

-गहने बनवाने के लिए सही सोने की पहचान कैसे करें?

-क्या पुराने गहने के बदले नए गहने बनवाना फायदेमंद है?

-सोना जांचने-परखने के तरीके क्या हैं?

पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान :

1. आपका सोना कितना खराः 6 श्रेणियों में गहनों की हॉलमार्किंग :

पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान रखें कि सोना कितना ही खरा क्यों न हो, वह 100% शुद्ध नहीं हो सकता क्योंकि सोना इतना सॉफ्ट मेटल है कि बिना मिलावट के गहने बन ही नहीं सकते। सोने की शुद्धता मापने की यूनिट कैरेट (K) है।

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) की वेबसाइट के अनुसार 6 कैटेगरी में ही सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग की अनुमति है। ये छह कैटेगरी हैं-

  1.  14K यानी 14 कैरेट
  2. 18K यानी 18 कैरेट
  3.  20K यानी 20 कैरेट 
  4. 22K यानी 22 कैरेट
  5.  23K यानी 23 कैरेट
  6.  24K यानी 24 कैरेट (99.9% शुद्ध)

सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क 22K916, 18K750, 14K585 लिखा होता है। 24 कैरेट का सोना भी 99.9 फीसदी ही शुद्ध माना जाता है। नीचे दिए ग्राफिक से इस गणित को समझतें हैं।

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सोने की शुद्धता का मापन (सोर्स: BIS INDIA)
2. शादियों के दौरान धातुओं की मिलावट का खेल :

पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान जैसे कि आपका पुराना सोना 23 कैरेट का है तो उसे गलाकर नया गहना बनाते वक्त सोने को 22 या 18 कैरेट में बदल दिया जाता है। बाकी इसमें पीतल, तांबा या कोई अन्य धातु मिला दी जाती है।

अकसर गांवों और छोटे शहरों की महिलाएं जब पुराना सोना लेकर सुनार या ज्वैलर्स के पास जाती हैं तो-

• उन्हें सोने के गहने के वजन या शुद्धता के बारे में जानकारी नहीं होती।

• यह भी नहीं पता होता कि उस वक्त सोने का बाजार भाव क्या है।

• पुराने के बदले नया गहना कितने कैरेट सोने का बनेगा, यह जानकारी भी नहीं होती है।

• सोने की शुद्धता मापने वाली कैरेट मशीन बहुत से ज्वेलर्स शॉप पर होती भी नहीं है।

ज्वैलर कह सकता है कि सोना शुद्ध है, लेकिन अगर आप खरीद की पक्की रसीद नहीं ले रहे हैं तो इसका कोई प्रमाण नहीं है।

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3. हॉलमार्किंग के बाद ही बदल सकते हैं पुराने गहने :

पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान रखें जैसे कि देश में सोने की शुद्धता जांचने का काम BIS करता है। आप जो भी ज्वैलरी खरीदते हैं, उस पर हॉलमार्क BIS का तिकोना मार्क बना है तो इसका मतलब यह है कि उस ज्वैलरी की टेस्टिंग मान्यता प्राप्त लैब में हुई है। आप उसे बेफिक्र होकर खरीद सकते हैं।

सरकार ने 1 अप्रैल, 2023 से सोना खरीदने और बेचने के लिए 6 डिजिट वाला हॉलमार्क यूनिक आईडेंटिफिकेशन (HUID) नंबर भी अनिवार्य कर दिया है। अगर आपके पास पुराने सोने के गहने हैं तो आपको उसे BIS सेंटर्स या मान्यता प्राप्त ज्वैलर्स के पास जाकर हॉलमार्क करवाना होगा। इसके बाद ही इस गहने को बेचा या बदला जा सकता है।

हालांकि, इसके बावजूद छोटे शहरों में ज्वैलर्स या सुनार सोना खरीदने-बेचने में गड़बड़ी करते हैं। ऐसे में आपको भी सावधान रहने की जरूरत है।

भारत सरकार के BIS INDIA यानि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड द्वारा भारत में रजिस्टर्ड सुनारों की लिस्ट जानने के लिए क्लिक करें 

नीचे दिए ग्राफिक से समझें कि अपने पुराने गहने की वैल्यू कैसे जांची जाए।

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सोना कितना खरा ऐसे जांचे (सोर्स : BIS INDIA)

 

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4. ज्वैलरी के मेकिंग चार्ज के नाम पर आपसे ऐंठे जाते हैं पैसे :

ज्वैलरी खरीदते वक्त वजन और डिजाइन के अनुसार मेकिंग चार्ज भी देना पड़ता है। कई ज्वैलरी ब्रांड्स अपने ग्राहकों से कहते हैं कि वे बिल दिखाकर कभी भी ज्वैलरी एक्सचेंज करवा सकते हैं।

लेकिन जब भी ग्राहक नई ज्वैलरी लेता है तो उसे दोबारा मेकिंग चार्ज देना पड़ता है। इसी में ज्वैलर्स की कमाई होती है। कई ज्वैलर्स मेकिंग चार्ज को वेस्ट चार्ज या डेडक्शन चार्ज के नाम से भी बिल में शामिल करते हैं।

ऐसे समझें खेल- 

मेकिंग चार्ज का रेट प्रति ग्राम के अनुसार तय होता है, जो गहने की डिजाइन के मुताबिक 20% से 30% तक हो सकता है।

इसे इस तरह समझें कि अगर एक महिला 1 लाख रुपए के सोने के कंगन खरीदती है तो उसे करीब 30 हजार रुपए मेकिंग चार्ज के रूप में चुकाने पड़ते हैं।

एक महीने बाद उसी कंगन सेट को वापस कर दोबारा नई डिजाइन के 1.5 लाख के भारी कंगन लेती है तो उसे पूरे सोने पर करीब 45 हजार मेकिंग चार्ज देना पड़ता है।

यानी ग्राहक को बिल पर गोल्ड की वैल्यू तो वही मिल जाती है, लेकिन मेकिंग चार्ज करीब दोगुना चुकाना पड़ता है। ज्वैलर एक ही कंगन सेट पर 75 हजार रुपए कमा लेता है।

आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए ग्राफिक से यह जानते हैं कि पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान आप कैसे रखेंगे और सोने के पुराने गहने को एक्सचेंज कराने के दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

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सोना खरीदते समय इन बातों का ध्यान ( सोर्स : BIS INDIA)

 

यदि पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान रखेंगे तो कोई भी सुनार आपको ठग नही पाएगा | यदि आपको ये पुराना सोना बदलवाते समय रखे इन बातों का ध्यान लेख पसंद आया है तो इसे अपने रिश्तेदार और दोस्तों तक शेयर करें|

Disclaimer :- इस लेख में दी गई जानकारी केवल जानकारी के लिए है। इसे निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए. कोई भी निवेश करने से पहले आपको निवेश सलाहकारों से सलाह लेनी चाहिए। कैश खबर निवेश से जुड़े किसी भी मामले में जिम्मेदार नहीं है |

 

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