16 अगस्त 2024 को भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इन दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक तेल सौदे में अमेरिकी डॉलर (USD) के बजाय XRP टोकन का उपयोग किया।
इस कदम को वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जो क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक के व्यापक उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
India UAE Adopt XRP as Payment for Oil trades
XRP एक डिजिटल एसेट है जिसे Ripple Labs ने विकसित किया है। इसका उपयोग तेज और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए किया जाता है।
XRP टोकन का उपयोग करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का लाभ उठाते हुए वास्तविक समय में तेज और सुरक्षित लेनदेन सुनिश्चित करता है।
भारत और यूएई के बीच तेल सौदे में XRP का उपयोग करने का एक मुख्य कारण यह है कि यह अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करता है और दोनों देशों के बीच लेनदेन को सरल और सस्ता बनाता है।
तेल व्यापार में ब्लॉकचेन का उपयोग
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग इस लेनदेन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने में किया गया। ब्लॉकचेन एक वितरित खाता-बही प्रणाली (Distributed Ledger Technology – DLT) है, जिसमें सभी लेनदेन का रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होता है।
इस तकनीक का उपयोग कर तेल व्यापार के लेनदेन को न केवल सुरक्षित बनाया गया, बल्कि इसके जरिए इंटरमीडियरीज़ की आवश्यकता भी कम हो गई, जिससे ट्रांसफर की लागत कम हुई।
भारतीय और वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव
इस कदम के साथ, भारत और यूएई ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली में डिजिटल मुद्राओं की भूमिका को और मजबूत किया है। यह पहली बार है कि किसी बड़े तेल सौदे में एक डिजिटल एसेट का उपयोग किया गया है।
यह एक संकेत है कि आने वाले समय में अन्य देश भी अपने व्यापार में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने पर विचार कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, इस कदम से अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को भी चुनौती दी जा सकती है, जो अभी तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रमुख मुद्रा रहा है।
यह कदम विशेष रूप से ब्रिक्स देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्होंने हाल ही में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं।
वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा पर प्रभाव
XRP का उपयोग करने से वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा में भी सुधार हुआ है। चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से सभी लेनदेन पारदर्शी और ट्रेस करने योग्य होते हैं, इससे वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य अनियमितताओं का खतरा कम हो जाता है।
भारत और यूएई के बीच इस साझेदारी का उद्देश्य न केवल तेल व्यापार को सरल और सस्ता बनाना है, बल्कि एक ऐसे वित्तीय मॉडल का निर्माण करना भी है जो पारदर्शिता, सुरक्षा और दक्षता को प्राथमिकता देता है।
Conclusion
भारत और यूएई का यह ऐतिहासिक कदम न केवल क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वैश्विक व्यापार में क्रिप्टोकरेंसी की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है।
यह व्यापारिक लेनदेन में क्रांति ला सकता है और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बड़े बदलावों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। भविष्य में, हम अन्य देशों को भी इसी प्रकार के कदम उठाते हुए देख सकते हैं, जिससे क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग और भी व्यापक हो सकता है।
Disclaimer :- इस लेख (India UAE Adopt XRP as Payment for Oil trades) में दी गई जानकारी केवल जानकारी के लिए है। इसे निवेश की सलाह नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी निवेश करने से पहले आपको निवेश सलाहकारों से सलाह लेनी चाहिए। कैश खबर निवेश से जुड़े किसी भी मामले में जिम्मेदार नहीं है |