हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हमेशा से एक जरूरत मानी गई है लेकिन आजकल के आधुनिक युग में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हर 100 में से सिर्फ 63 व्यक्ति ही लेते हैं | एक बड़ी अच्छी कहावत कही गई है की एक मध्यम वर्गीय परिवार को सिर्फ एक हॉस्पिटल का बिल गरीब बना देता है |
लोगों का स्वास्थ्य जब तक ठीक होता है तब तक उन्हें इसकी कमी महसूस नही होती है और जब उन्हें कोई गंभीर बीमारी का कोई एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है और जिंदगी भर की कमाई उस इलाज में ही खर्च हो जाती है तब सोचते है की काश हमने भी हैल्थ इंश्योरेंस लिया होता |
हाल ही में एक सर्वे सामने आया, जिसमें कहा गया कि 70% लोग हैल्थ इंश्योरेंस अपनी सेहत की खातिर लेते हैं। ICICI लोंबार्ड के इस सर्वे में कहा गया है कि ज्यादातर लोग हैल्थ इंश्योरेंस इलाज पर होने वाले खर्चों यानी कैशलेस क्लेम के लिए लेते हैं। उनका मकसद टैक्स बचाना नहीं होता है।
भारत की 37 फीसदी आबादी के पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं
फोर्ब्स के अनुसार, भारत में करीब 51 करोड़ आबादी के पास हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम्स हैं, जो देश की कुल आबादी का 37 फीसदी ही हैं। वहीं, नीति आयोग ने कम लागत वाले स्वास्थ्य बीमा की जरूरत का सुझाव देते हुए कहा है कि भारत की लगभग 30% या 42 करोड़ आबादी किसी भी स्वास्थ्य बीमा से वंचित है।
बीते एक साल में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम 10 से 25% तक बढ़ चुका है। हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम और बढ़ता ही जाएगा।
आज cashkhabar के इस आर्टिकल में सबसे पहले यह समझते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस लेना क्यों जरूरी होता है और यह भी जानेंगे कि-
–हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड क्या होता है?
– कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट लेनी क्यों जरूरी है?
-कोई भी इंश्योरेंस खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी क्या है?
हेल्थ इंश्योरेंस किसी भी पॉलिसी होल्डर को कोई बीमारी या गंभीर बीमारी के इलाज में होने वाले मेडिकल खर्चे का बोझ उठाता है। आपकी पॉलिसी का इंश्योरेंस प्रोवाइडर अस्पताल में भर्ती होने, दवाओं, डॉक्टर की फीस और किसी भी लैब या डायग्नोस्टिक टेस्ट आदि से संबंधित मेडिकल बिलों का भुगतान करता है।
इसके अलावा, 1 जनवरी 2024 से हर पॉलिसी होल्डर को पॉलिसी खरीदते वक्त CIS यानी कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट देनी अनिवार्य कर दी गई है। आपको इसे इंश्योरेंस कंपनी से मांगना होगा। इसमें नीचे दी हुईं हर तरह की सूचनाएं लिखी होंगी। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझते हैं-
हेल्थ इंश्योरेंस होना कितना जरूरी है?
कोई भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपको मानसिक शांति देती है। यह इंश्योरेंस अस्पताल में भर्ती होने के खर्चों को कवर करता है, जिससे इलाज पर ध्यान केंद्रित होता है, न कि खर्चों पर।
• हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में कई अस्पताल होते हैं, जिनमें कोई भी कैशलेस सुविधा का लाभ उठा सकता है।
• अगर कोई रोगी अस्पताल जाने में असमर्थ है तो घरेलू इलाज का पेमेंट इंश्योरेंस कंपनी करेगी। इसके अलावा नो क्लेम बोनस जैसी छूट का फायदा मिलता है।
• इससे पॉलिसी को रिन्यू करते समय प्रीमियम घटाने में मदद मिलती है। आयुष ट्रीटमेंट सरकार द्वारा अनुमोदित अस्पताल में इलाज हो सकता है।
इसलिए जरूरी है हेल्थ इंश्योरेंस:
भारतीयों की कमाई का 10% इलाज पर ही खर्च
इंश्योरटेक कंपनी प्लम की ‘कॉर्पोरेट इंडिया की स्वास्थ्य रिपोर्ट 2023’ के अनुसार, बढ़ते मेडिकल खर्चों की वजह से 9 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की जिंदगी पर असर पड़ा है। उनकी कमाई का करीब 10% हिस्सा बीमारियों के इलाज पर ही खर्च हो जाता है।
ओपीडी कवरेज भी शामिल कराना चाहिए
ओपीडी कवरेज को भी आप हेल्थ इंश्योरेंस में जुड़वा सकते हैं। यह अस्पताल में भर्ती होने से पहले के इलाज के खर्चों को कवर करती है।
अगर आप खांसी या फिर माइग्रेन जैसी बीमारी के इलाज के लिए ओपीडी में इलाज करवाते हैं तो इस इलाज के भी खर्चों को ओपीडी कवरेज में कवर किया जाता है।
क्या होता है हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड?
हेल्थ बीमा में वेटिंग पीरियड वह अवधि है जिसके लिए आपको बीमा लाभ प्राप्त करने से पहले इंतजार करना पड़ता है।
वेटिंग पीरियड, पॉलिसी शुरू होने की तारीख से शुरू होती है, और बीमाधारक इस दौरान स्वास्थ्य बीमा लाभ का दावा नहीं कर सकता है। वेटिंग पीरियड की अवधि हर बीमा कंपनी की अलग-अलग होती है।
पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड
हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले आपसे यह पूछा जाता है कि आपको पहले से कौन सी बीमारी है। इसके लिए मेडिकल टेस्ट भी कराए जाते हैं। यहां पहले से मौजूद बीमारियों का मतलब यह है कि जो पॉलिसी खरीदने से 48 महीने पहले पकड़ में आई हो। इन बीमारियों में हाई बीपी, मधुमेह, थाइरॉयड आदि शामिल हैं।
इनीशियल वेटिंग पीरियड
इसे ‘कूलिंग पीरियड’ भी कहा जाता है। हेल्थ इंश्योरेंस में इनिशियल वेटिंग पीरियड बीमा की खरीद की तारीख के बाद से शुरू होती है। इस अवधि के दौरान आप योजनाबद्ध या आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने के लिए बीमाकर्ता से क्लेम प्राप्त नहीं कर सकते हैं। न्यूनतम वेटिंग पीरियड 10 दिनों का होता है।
हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स से छूट भी मिलती है
टैक्स बेनिफिट्स हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा-80D के तहत टैक्स से छूट मिलती है।
यदि पॉलिसी होल्डर की उम्र 60 वर्ष से कम है, तो उसे हर साल इनकम टैक्स में 25 हजार रुपए तक की छूट मिल सकती है। यदि आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो यह लाभ 50 हजार रुपए तक बढ़ जाता है।
अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त ध्यान दें ये बातें
आज हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की बाढ़ है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने के लिए इन बातों को हमें ध्यान में रखना चाहिए-
• अपनी हेल्थकेयर जरूरतों का आकलन करें।
•अपनी उम्र, परिवार, मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों और भविष्य में इलाज जैसे फैक्टर्स पर विचार करना चाहिए।
• ऐसी इंश्योरेंस कंपनियों को देखें, जिनका मजबूत फाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड हो।
• जो कंपनी इंश्योरेंस दे रही है, उसका क्लेम सेटलमेंट अच्छा होना चाहिए।
• इंश्योरेंस कंपनी का अस्पतालों और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ शानदार नेटवर्क हो।
हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में नहीं एड्स या कॉस्मेटिक सर्जरी
एड्स, दांतों का इलाज, मनोरोग संबंधी विसंगति, लिंग परिवर्तन सर्जरी, कास्मेटिक सर्जरी, खुद को नुकसान पहुंचाने से लगी चोट जैसे मामले किसी भी स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के दायरे में नहीं होते हैं।
आपके लिए बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस कौन सा होगा, जानें
इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंसः यह किसी व्यक्ति के मेडिकल खर्चे को कवर करता है।
फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस: यह एक ही पॉलिसी के तहत पूरे परिवार को कवर करता है।
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंसः कर्मचारियों या संगठनों द्वारा उनके कर्मचारियों के लिए पेश किया जाता है।
वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा: 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए डिजाइन किया गया है।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस: विशिष्ट गंभीर बीमारियों के इलाज पर एकमुश्त पेमेंट की सुविधा देता है।
मैटरनिटी कवरेजः मैटरनिटी से संबंधित खर्चों के लिए कवरेज प्रदान करता है।
Disclaimer :- इस लेख में दी गई जानकारी केवल जानकारी के लिए है। इसे निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए. कोई भी निवेश करने से पहले आपको निवेश सलाहकारों से सलाह लेनी चाहिए। कैश खबर निवेश से जुड़े किसी भी मामले में जिम्मेदार नहीं है |
FAQ For health insurance policies :-
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी क्या है?
हेल्थ इंश्योरेंस किसी भी पॉलिसी होल्डर को कोई बीमारी या गंभीर बीमारी के इलाज में होने वाले मेडिकल खर्चे का बोझ उठाता है। आपकी पॉलिसी का इंश्योरेंस प्रोवाइडर अस्पताल में भर्ती होने, दवाओं, डॉक्टर की फीस और किसी भी लैब या डायग्नोस्टिक टेस्ट आदि से संबंधित मेडिकल बिलों का भुगतान करता है।
हेल्थ इंश्योरेंस होना कितना जरूरी है?
•हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में कई अस्पताल होते हैं, जिनमें कोई भी कैशलेस सुविधा का लाभ उठा सकता है।
• अगर कोई रोगी अस्पताल जाने में असमर्थ है तो घरेलू इलाज का पेमेंट इंश्योरेंस कंपनी करेगी। इसके अलावा नो क्लेम बोनस जैसी छूट का फायदा मिलता है।
• इससे पॉलिसी को रिन्यू करते समय प्रीमियम घटाने में मदद मिलती है। आयुष ट्रीटमेंट सरकार द्वारा अनुमोदित अस्पताल में इलाज हो सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड क्या होता है?
हेल्थ बीमा में वेटिंग पीरियड वह अवधि है जिसके लिए आपको बीमा लाभ प्राप्त करने से पहले इंतजार करना पड़ता है। वेटिंग पीरियड, पॉलिसी शुरू होने की तारीख से शुरू होती है, और बीमाधारक इस दौरान स्वास्थ्य बीमा लाभ का दावा नहीं कर सकता है। वेटिंग पीरियड की अवधि हर बीमा कंपनी की अलग-अलग होती है
।
बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस कौन सा होता है?
1. इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंसः यह किसी व्यक्ति के मेडिकल खर्चे को कवर करता है।फैमिली 2. फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस: यह एक ही पॉलिसी के तहत पूरे परिवार को कवर करता है।
3. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंसः कर्मचारियों या संगठनों द्वारा उनके कर्मचारियों के लिए पेश किया जाता है।
4. वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा: 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए डिजाइन किया गया है।
5. क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस: विशिष्ट गंभीर बीमारियों के इलाज पर एकमुश्त पेमेंट की सुविधा देता है।
6. मैटरनिटी कवरेजः मैटरनिटी से संबंधित खर्चों के लिए कवरेज प्रदान
करता है।
अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
• अपनी हेल्थकेयर जरूरतों का आकलन करें।
•अपनी उम्र, परिवार, मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों और भविष्य में इलाज जैसे फैक्टर्स पर विचार करना चाहिए।
• ऐसी इंश्योरेंस कंपनियों को देखें, जिनका मजबूत फाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड हो।
• जो कंपनी इंश्योरेंस दे रही है, उसका क्लेम सेटलमेंट अच्छा होना चाहिए।
• इंश्योरेंस कंपनी का अस्पतालों और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ शानदार नेटवर्क हो।
क्या हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स से छूट भी मिलती है ?
टैक्स बेनिफिट्स हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा-80D के तहत टैक्स से छूट मिलती है।यदि पॉलिसी होल्डर की उम्र 60 वर्ष से कम है, तो उसे हर साल इनकम टैक्स में 25 हजार रुपए तक की छूट मिल सकती है। यदि आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो यह लाभ 50 हजार रुपए तक बढ़ जाता है।